अस्मिति एकेडमी के वेबिनार मंच पर आज के स्वयंमंथन के भाग २४ में रतलाम से डॉ शेफाली शाह ने महिलाओं में एनीमिया की समस्या पर जानकारी दी और एनीमिया से जुड़े सवालों के जवाब दिए।
आज के स्वयंमंथन की विशेष अतिथि पदमश्री डॉ लीला जोशी थीं| डॉ जोशी ने भी डॉ शेफाली का साथ देते हुए अपने विचार व्यक्त किये।
डॉ शेफाली शाह पेशे से गयनोकोलॉजिस्ट एवं ओब्स्टेटिशन हैं। डॉ शेफाली “रिधान अस्पताल रतलाम”, में कार्यरत हैं तथा रतलाम की “सोसाइटी ऑफ़ गयनोकोलॉजिस्ट एवं ओब्स्टेटिशन” की सेक्रेटरी भी हैं।
अपने मेडिकल सेवा के अलावा “मिसेज़ इंडिया इंटेलेक्चुअल २०१८” भी रही हैं।
डॉ शाह ने बताया कि भारत में ५३% महिलाएं एनिमिया से ग्रस्त हैं। एनीमिया की शिकायत महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा होती है। रिप्रोडक्टिव पीरियड में एनीमिया ज्यादा होता है। १५ से ४० वर्ष की उम्र में एनीमिया के कारण शरीर मे ऊर्जा कम हो जाती है जिससे शरीर में RBC व हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है।
डॉ शाह के मुताबिक महिलाओं मे एनीमिया के मुख्य कारण, माहवारी(मेंस्ट्रुअल पीरियड), बच्चे का जन्म, स्तनपान आदि होता है। इन सभी समय में महिलाओं को अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। हमारे देश में ज्यादातर महिलाएं जानकारी के अभाव या गरीबी के कारण, इस विशेष समय में अपना ध्यान नहीं रख पाती।
महिलाओं में”विटामिन बी, फोलिक एसिड, आयरन की कमी” का होना सामान्य प्रक्रिया है, भोजन और दवाई से इस कमी को दूर किया जाना चाहिए। एनीमिया होने पर सामान्यतः थकान जल्दी होगी, सांस फूलेगी, भूख नहीं लगेगी, कुछ पेशेंट्स में डिप्रेशन होना, नींद न आना भी इसी समस्या के लक्षण हैं।
आयरन की मात्रा सामान्यत: शरीर में १६-२० mg तथा गर्भवती महिलाओं मे ३२- ४० mg होती है| हरी सब्ज़ियां, पालक, मेथी, लाल मांस, चने, सी फ़ूड में आयरन प्रचुर मात्रा में मिलता है, जिनका सेवन किया जाना जरूरी है।
“फोलिक एसिड” के लिए भी खान पान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए| हरी सब्ज़ियां, गोभी, गाजर, दूध फोलिक एसिड के अच्छे स्रोत्र हैं| अंडे भी फोलिक एसिड के अच्छे स्त्रोत हैं|
स्कूल के समय से ही लड़कियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए| उन्हें एनीमिया पर जागरूक करना चाहिए। स्कूल मे कैंप लगाकर यह जागरूकता बढ़ाई जा सकती है। पेट में कीड़े भी एनीमिया के कारण हो सकते हैं।टीनएजर लड़कियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए| माहवारी के शुरुआत मे उन्हें परेशानियां ज्यादा हो सकती है| उनका माहवारी कैलेंडर बनाना चाहिए| सोयाबीन का उपयोग बढ़ाना चाहिए|
डॉ जोशी ने भी एनीमिया पर अपना अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि कई बार सामान्यत: भाग दौड़ करते बच्चों में हम एनीमिया की कल्पना नहीं करते| लेकिन बहुत सारे मामलों में उन्हें भी ऎनेमिक पाया गया है|
डॉ जोशी ने बताया कि हम इन सभी लक्षणों पर ध्यान नहीं देते हैं तथा इलाज़ मे देर कर देते हैैं। खान-पान एवं डॉ की सलाह से एनीमिया पर काबू पाया जा सकता है|
अस्मिति एकेडमी अपने मंच पर ऐसे ही मजबूत हस्ताक्षर को आमंत्रित करती है और उनके अनुभवों को साझा करती है।
by: Neelam Malik